जयललिता का असल वारिस कौन?: अम्मा की जयंती पर आज सीएम पलानीसामी और शशिकला में शक्ति प्रदर्शन
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बुधवार को दिवंगत सीएम जयललिता की जयंती है।
- पार्टी और थेवार समुदाय में शशिकला की पकड़ से पलानीसामी मुश्किल में
तमिलनाडु की दिवगंत नेता अम्मा यानी जयललिता की बुधवार को 73वीं जयंती है। इस मौके पर सत्तारुढ़ अन्नाद्रमुक और शशिकला गुट खुद को ‘अम्मा’ का असल वारिस साबित करने के लिए शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। सीएम ई. पलानीसामी ने पार्टी वर्कर्स से कहा है, ‘चुनाव की परीक्षा में सिर्फ दो महीने बचे हैं। हमारे शत्रुओं और विरोधियों ने हमें हराने के लिए हाथ मिला लिए हैं। ऐसे में हम सब अम्मा की जयंती पर घरों में दीए जलाएं और प्रतिज्ञा लें कि पार्टी बचाने में कसर नहीं छोड़ेंगे।’ उन्होंने शक्ति प्रदर्शन के लिए वर्कर्स को पार्टी मुख्यालय पहुंचने का आह्वान किया है।
दूसरी तरफ, इस मौके कर शशिकला के भतीजे दिनाकरण ने कहा, ‘वे भी इस मौके पर एएमएमके पार्टी मुख्यालय में शक्ति दिखाएंगे।’ इस मौके पर जेल से रिहा होकर आईं शशिकला भी शिरकत करेंगी। उनकी सक्रियता से अन्नाद्रमुक की मुश्किलें बढ़ गई हैं। माना जा रहा है शशिकला अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके अन्नाद्रमुक में अपनी वापसी चाहती हैं। हालांकि मुख्यमंत्री पलानीसामी ने शशिकला और उनके रिश्तेदारों की संपत्ति जब्ती के आदेश से स्पष्ट कर दिया है कि वे झुकने को तैयार नहीं है।
राजनीतिक पंडित मानते हैं कि इस स्थिति ने मुख्यमंत्री पलानीसामी की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। उनका तर्क है कि पार्टी के मौजूदा विधायकों में बड़ी संख्या में शशिकला समर्थक हैं, जो यह मानते हैं कि उनके यहां तक पहुंचने में शशिकला का हाथ है। यदि पलानीसामी ऐसे लोगों को टिकट देते हैं या फिर काटते हैं तो दोनों ही स्थिति में पार्टी को नुकसान हो सकता है। दूसरी तरफ शशिकला थेवार कम्युनिटी से आती हैं, जिसकी राज्य की आबादी में 10% हिस्सेदारी है। यह कम्युनिटी अन्नाद्रमुक की परंपरागत वोटर रही हैं। यदि इनके वोट बंटते हैं तो नजदीकी मुकाबलों में अन्नाद्रमुक को नुकसान हो सकता है।
राज्य के दक्षिणी हिस्से और डेल्टा रीजन की 40-50 सीटों पर इस कम्युनिटी का प्रभाव है। 2016 के विस चुनाव में अन्नाद्रमुक ने 13 सीटें 1000 से कम अंतर से जीती थी। 66 सीटों पर जीत का अंतर 5% से कम था। 2019 के लोकसभा चुनाव में शशिकला के भतीजे दिनाकरण की पार्टी एएमएमके को 5% वोट मिले थे। यदि आगामी विस चुनाव में भी वोट बैंक में सुधार होता है तो इसका सीधा नुकसान एआईएडीएमके और उसकी सहयोगी भाजपा को होगा। यानी भले ही शशिकला अन्नाद्रमुक की जीत तय न कर सके, लेकिन उसे बड़ा झटका दे सकती हैं।
भाजपा घाटे से बचने दोनों गुटों में सुलह चाहती है
शशिकला पार्टी में महा सचिव पद के निर्वासन के खिलाफ कोर्ट जा चुकी है। इस मामले में 15 मार्च को सुनवाई होगी। आगामी चुनाव में उनके खेमे की वजह से होने वाले संभावित नुकसान की वजह से एआईएडीएमके और भाजपा शशिकला की गतिविधियों पर नजर रखे हुए है। भाजपा की कोशिश इन दोनों गुटों को साथ लाने की है।